Type Here to Get Search Results !

घोटाला ACB–EOW की बड़ी कार्रवाई, छत्तीसगढ़ के 4 जिलों में 12 ठिकानों पर छापेमारी

घोटाला ACB–EOW की बड़ी कार्रवाई, छत्तीसगढ़ के 4 जिलों में 12 ठिकानों पर छापेमारी

 घोटाला ACB–EOW की बड़ी कार्रवाई, छत्तीसगढ़ के 4 जिलों में 12 ठिकानों पर छापेमारी



रायपुर। कांग्रेस शासनकाल में हुए डिस्ट्रिक्ट माइनिंग फंड (DMF) घोटाले की जांच में आज बड़ा मोड़ आया है। भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (ACB) और आर्थिक अपराध अन्वेषण शाखा (EOW) की संयुक्त टीम ने मंगलवार सुबह रायपुर, दुर्ग, राजनांदगांव और कुरूद में एक साथ 12 ठिकानों पर छापेमारी की कार्रवाई की।

सूत्रों के अनुसार, रायपुर में 5, दुर्ग में 2, राजनांदगांव में 4 और कुरूद में 1 स्थान पर छापे मारे गए हैं। इन ठिकानों में कई सरकारी सप्लायर, ठेकेदार और कारोबारी शामिल हैं। बताया जा रहा है कि जिन व्यवसायिक घरानों के यहां कार्रवाई चल रही है, उनमें नाहटा, भंसाली और अग्रवाल समूह के नाम प्रमुख हैं।

प्रदेश सरकार से मिली जानकारी के अनुसार, प्रवर्तन निदेशालय (ED) की रिपोर्ट के आधार पर EOW ने एफआईआर दर्ज की है।

 मामला आईपीसी की धारा 120-बी (आपराधिक साजिश) और 420 (धोखाधड़ी) के तहत दर्ज किया गया है।

 जांच में यह सामने आया है कि कोरबा जिले के DMF फंड से विभिन्न टेंडरों के आवंटन में भारी वित्तीय अनियमितताएं की गईं।

रिपोर्ट में यह आरोप है कि टेंडर प्रक्रिया में मिलीभगत कर कुछ निजी व्यक्तियों और ठेकेदारों को अवैध लाभ पहुंचाया गया।

 ED के मुताबिक, इस पूरे घोटाले में टेंडर भरने वाले और मध्यस्थों ने मिलकर बड़ी रकम कमाई।

रिपोर्ट में जिन लोगों के नाम सामने आए हैं, उनमें —

 संजय शिंदे, अशोक कुमार अग्रवाल, मुकेश कुमार अग्रवाल, ऋषभ सोनी, और बिचौलिए मनोज कुमार द्विवेदी, रवि शर्मा, पियूष सोनी, पियूष साहू, अब्दुल और शेखर शामिल हैं।

 जांच एजेंसियों को शक है कि इन लोगों ने मिलकर फर्जी बिल, टेंडर और सप्लाई ऑर्डर के जरिए DMF फंड से करोड़ों रुपये की हेराफेरी की।

डिस्ट्रिक्ट माइनिंग फंड (DMF) की स्थापना खनन प्रभावित क्षेत्रों के विकास के लिए की गई थी।

 हालांकि, जांच में पाया गया कि फंड का उपयोग विकास कार्यों की बजाय निजी हितों के लिए किया गया।

 ED की प्रारंभिक जांच में यह भी सामने आया कि कई टेंडर एक ही समूह के नामों से संचालित कंपनियों को दिए गए, जिससे प्रतिस्पर्धा का सिद्धांत टूट गया।


EOW की टीमें अब जब्त दस्तावेज़ों, बैंक लेन-देन और संपत्ति के रिकॉर्ड की फॉरेंसिक जांच कर रही हैं।

 प्रारंभिक अनुमान है कि यह घोटाला कई करोड़ रुपये का हो सकता है।

 जांच पूरी होने के बाद कई अन्य अधिकारियों और ठेकेदारों के नाम भी सामने आने की संभावना है।


सूत्रों के हवाले से जानकारी मिली है कि यह कार्रवाई कई दिनों से प्लान की जा रही थी, और भविष्य में कुछ और जिलों में भी छापे मारे जा सकते हैं।

 फिलहाल EOW ने सभी संबंधितों से पूछताछ शुरू कर दी है।



Tags

Post a Comment

0 Comments
* Please Don't Spam Here. All the Comments are Reviewed by Admin.