jangal ke masharoom ne bigaadee tabeeyat जंगल से लाए मशरूम ने बिगाड़ी तबीयत: एक ही परिवार के नौ लोग बीमार, गांव में मचा हड़कंप
कौशल प्रजापति
जिला सूरजपुर, छत्तीसगढ़, 01, जूलाई 2025 छत्तीसगढ़ के सूरजपुर जिले से एक सच्ची और चौंकाने वाली घटना सामने आई है, जहां जंगल से लाए गए जहरीले मशरूम खाने से एक ही परिवार के नौ लोग बीमार हो गए। घटना के बाद पूरे गांव में सन्नाटा पसरा हुआ है। और प्रशासन ने लोगों से सावधानी बरतने की अपील की है। यह घटना स्वास्थ्य के लिहाज से न सिर्फ सच्ची है बल्कि ग्रामीण क्षेत्रों में पारंपरिक खानपान और जागरूकता की जरूरत पर भी सवाल खड़े करती है।
घटना का विवरण कैसे बिगड़ी तबीयत
आपको बता दें कि इस मामले में डेडारी सलका और कोरिया गांव के करीब नौ ग्रामीण जंगली मशरूम खाने से पोषण की हानि के शिकार हो गए। सभी को गंभीर हालत में जिला स्वास्थ्य केंद्र सूरजपुर में भर्ती कराया गया है, जहां डॉक्टरों की निगरानी में उनका इलाज चल रहा है।
बताया जा रहा है कि ग्रामीणों ने जंगल से एकत्र मशरूम को सब्जी के रूप में पकाकर खाया था। कुछ ही देर बाद उल्टी, दस्त, चक्कर आना और बेहोशी जैसे लक्षण दिखने लगे। परिवार के लोग तुरंत सभी को अस्पताल ले गए। डॉक्टरों की मानें तो भोजन में गड़बड़ी के लक्षण स्पष्ट हैं। और सभी मरीजों का इलाज चल रहा है।
यह ध्यान देने योग्य है कि तूफान के दौरान जंगलों में कई तरह के हानिकारक मशरूम उगते हैं, जो देखने में तो सामान्य लगते हैं लेकिन बेहद खतरनाक हो सकते हैं। स्वास्थ्य विभाग ने लोगों से अज्ञात जंगली मशरूम खाने से बचने की अपील की है।
डॉक्टरों की चेतावनी बिना पहचाने न खाएं जंगल के मशरूम
स्थानीय चिकित्सा केंद्र के एक वरिष्ठ चिकित्सक ने बताया, "हर मशरूम खाने योग्य नहीं होता। कई बार हानिकारक मशरूम सामान्य दिखने वाले खाने योग्य मशरूम से बहुत मिलते-जुलते दिखते हैं, जिससे भ्रम की स्थिति पैदा होती है। कुछ मशरूम में ऐसे हानिकारक तत्व होते हैं जो लीवर, किडनी और मस्तिष्क पर घातक प्रभाव डाल सकते हैं। इनका असर वाकई जानलेवा हो सकता है।
उन्होंने ग्रामीणों को बिना पूरी जानकारी और पहचान के सबूत के किसी भी जंगली मशरूम को खाने से बचने की सलाह दी है। खास तौर पर तूफानी मौसम में, उनकी संख्या और अंतर बढ़ जाता है, जिससे हानिकारक और खाने योग्य मशरूम के बीच अंतर करना मुश्किल हो जाता है।
गांव में जागरूकता अभियान की जरूरत
इस घटना के बाद समेत आसपास के गांवों में सन्नाटा पसरा हुआ है। स्थानीय प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग की टीम गांव में आई है और मशरूम के बचे हुए नमूनों को जांच के लिए लैब में भेज दिया गया है। साथ ही ग्रामीणों को सुरक्षित खान-पान की आदतों के बारे में जानकारी दी जा रही है।
ग्रामीण क्षेत्रों में अभी भी पारंपरिक खाद्य पदार्थों पर अत्यधिक निर्भरता है, लेकिन बदलते पर्यावरण और जैव विविधता के कारण, अब खाद्य और हानिकारक वन उत्पादों के बीच अंतर सिखाना आवश्यक हो गया है।
भोजन को लेकर बढ़ाएं जागरूकता
यह घटना एक बार फिर से यह दर्शाती है कि भोजन केवल पेट भरने का साधन नहीं है, बल्कि एक कर्तव्य भी है। पारंपरिक पोषण प्रवृत्तियाँ अभी भी ग्रामीण और आदिवासी क्षेत्रों में जीवंत हैं, लेकिन आज के समय में स्वास्थ्य सुरक्षा की दृष्टि से यह बेहद ज़रूरी है कि ऐसे उत्पादों के प्रति लोगों को सही जानकारी दी जाए।
क्षेत्र में इस घटना को एक चेतावनी के रूप में देखा जाना चाहिए। क्षेत्र प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग को प्रत्येक गांव में जाकर इस विषय पर विशेष जागरूकता अभियान चलाना चाहिए, ताकि भविष्य में ऐसी दुर्घटनाओं से बचा जा सके।