बिलासपुर। शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार और हर बच्चे तक बेहतर शिक्षा पहुंचाने की दिशा में बिलासपुर जिला प्रशासन ने एक सराहनीय कदम उठाया है। मुख्यमंत्री विष्णु देव साय के निर्देशानुसार वर्ष 2025 को मुख्यमंत्री शिक्षा गुणवत्ता अभियान वर्ष के रूप में मनाया जा रहा है। इसी क्रम में जिला प्रशासन ने सेवानिवृत्त शिक्षकों से सरकारी स्कूलों में निःशुल्क अध्यापन कार्य के लिए आगे आने की अपील की है।
सेवानिवृत्त शिक्षक बनेंगे शिक्षा गुणवत्ता सुधार के सहभागी
जिले में वर्तमान में शिक्षक और विद्यार्थियों का अनुपात 1:27 है। कई शिक्षक सत्र के मध्य में सेवानिवृत्त हो रहे हैं, जिससे अध्यापन कार्य पर प्रभाव पड़ रहा है। इस स्थिति को देखते हुए कलेक्टर संजय अग्रवाल ने सेवानिवृत्त प्राचार्यों, व्याख्याताओं, शिक्षकों एवं सहायक शिक्षकों को बच्चों की निःशुल्क शिक्षा में अपना योगदान देने का आह्वान किया है।
रिटायर शिक्षकों को उनके निवास के निकटवर्ती सरकारी स्कूलों में पढ़ाने की जिम्मेदारी दी जाएगी। इस कार्य के लिए उन्हें किसी प्रकार का मानदेय नहीं दिया जाएगा — यह पूर्णतः स्वैच्छिक सेवा होगी।
गूगल शीट के माध्यम से करना होगा आवेदन
इच्छुक सेवानिवृत्त शिक्षकों को जिला प्रशासन द्वारा जारी गूगल शीट में अपनी जानकारी दर्ज करनी होगी। आवेदन के पश्चात प्रशासन उन्हें उनके गांव या वार्ड के समीप के विद्यालयों में अध्यापन कार्य हेतु अधिकृत करेगा।
‘मिशन 90 प्लस’ से जुड़ी पहल
मुख्यमंत्री शिक्षा गुणवत्ता अभियान वर्ष के अंतर्गत जिले में मिशन 90 प्लस भी संचालित है। इसके तहत शिक्षा सुधार के लिए कई योजनाएं लागू की जा रही हैं —
विषयवार पीएलसी (Professional Learning Community) का गठन,
जिला स्तर से केंद्रीकृत परीक्षा प्रणाली,
शिक्षकविहीन विद्यालयों में समीपस्थ विद्यालय के शिक्षकों द्वारा अध्यापन,
स्मार्ट टीवी के माध्यम से ऑनलाइन कक्षाओं का संचालन।
सत्र के अंत में कलेक्टर देंगे प्रशस्ति पत्र
कलेक्टर संजय अग्रवाल ने कहा कि यह अभियान न केवल शिक्षा गुणवत्ता बढ़ाने में मदद करेगा, बल्कि बच्चों की अकादमिक अभिरुचि को भी प्रोत्साहित करेगा। सत्र के अंत में निःशुल्क अध्यापन कार्य करने वाले शिक्षकों को जिला प्रशासन द्वारा सम्मानित किया जाएगा और कलेक्टर स्वयं उन्हें प्रशस्ति पत्र प्रदान करेंगे।
समाज के प्रति सेवा की भावना का उदाहरण
यह पहल सेवानिवृत्त शिक्षकों के अनुभव और समर्पण को शिक्षा प्रणाली में पुनः जोड़ने का एक प्रयास है। इससे न केवल सरकारी स्कूलों की शिक्षण व्यवस्था को मजबूती मिलेगी, बल्कि समाज में सेवा और दायित्वबोध की भावना भी प्रबल होगी।
“सेवानिवृत्ति के बाद भी शिक्षक समाज का मार्गदर्शक होता है। बच्चों को शिक्षा देना सबसे बड़ा योगदान है।” — कलेक्टर संजय अग्रवाल
