An Example of Love Devotion And Determination प्रेम, भक्ति और संकल्प की मिसाल 121 लीटर गंगाजल लेकर कांवड़ यात्रा पर निकला इंटरमीडिएट छात्र
सावन का महीना आते ही उत्तर भारत में भक्ति की बयार बहने लगती है। हर तरफ बोल बम के नारे गूंजने लगते हैं और लाखों श्रद्धालु हरिद्वार से गंगाजल लेकर अपने-अपने शिवालयों में चढ़ाने निकल पड़ते हैं। इन श्रद्धालुओं की आस्था, प्रायश्चित और मनोकामनाओं के पीछे कई कहानियां हैं - किसी में भक्ति होती है, किसी में वादे होते हैं, तो किसी में श्रद्धा होती है। इसी कड़ी में एक अनोखा मामला सामने आया है दिल्ली के नरेला निवासी 17 वर्षीय राहुल का, जो इस बार 121 लीटर गंगाजल लेकर कांवड़ यात्रा पर निकला है। उसकी इच्छा है कि उसकी प्रेमिका आईपीएस अधिकारी बने।
राहुल – एक साधारण छात्र
राहुल अभी कक्षा 12वींका छात्र है। उम्र में भले ही वह छोटा हो, लेकिन उसके जुनून बेहद गहरे और मज़बूत हैं। यह उसकी चौथी कांवड़ यात्रा है। पिछले साल उसने 101 लीटर गंगाजल लेकर यात्रा शुरू की थी, और इस बार उसने अपने संकल्प को और भी ऊँचा उठाते हुए 121 लीटर जल लेकर जाने का फैसला किया है।
राहुल का कहना है कि उसकी प्रेमिका ईश्वरीय सेवा परीक्षा की तैयारी कर रही है और वह चाहता है कि भगवान शिव की कृपा से वह एक दिन आईपीएस अधिकारी बने। इसके लिए उसने तपस्या का यह कठिन रास्ता चुना है।
जब प्रेम बन जाए भक्ति
राहुल की कांवड़ यात्रा सिर्फ़ धार्मिक नहीं है, बल्कि इससे एक ख़ास भावना भी जुड़ी है - प्रेम। अक्सर देखा जाता है कि लोग प्रेम के लिए कुछ भी कर गुज़रते हैं, लेकिन राहुल ने प्रेम को विश्वास और भक्ति के साथ जोड़कर एक आधुनिक मिसाल कायम की है।
मैं चाहता हूँ कि मेरी पत्नी आईपीएस अधिकारी बने। जब तक मेरी यह इच्छा पूरी नहीं हो जाती, मैं हर साल गंगाजल की कांवड़ चढ़ाता रहूँगा।" यह कोई आम बात नहीं है। इतनी कम उम्र में किसी के लिए ऐसा समर्पण असामान्य है।
हरिद्वार से दिल्ली – 220 किलोमीटर का कठिन सफर
हरिद्वार से दिल्ली की दूरी लगभग 220 किलोमीटर है। राहुल अब तक 150 किलोमीटर की दूरी तय कर चुके हैं और लगातार आगे बढ़ रहे हैं। गर्मी, धूप, थकान और पीठ पर 121 लीटर पानी का भार - इन सब बातों ने उनके आत्मविश्वास को नहीं डिगाया है।
बड़ौत और मुज़फ़्फ़रनगर के कांवड़ मार्ग पर उनकी यात्रा की चर्चा हो रही है। लोग उनकी कांवड़ देखकर दंग हैं - सजी हुई कांवड़, उस पर लगे झंडे और उनका दृढ़ संकल्प सभी को मंत्रमुग्ध कर रहा है। उनकी यात्रा मीडिया में भी सुर्खियों में है।
भक्ति का नया रूप – आज के युवा और उनकी श्रद्धा
जब राहुल जैसे युवा ऐसी यात्रा पर निकलते हैं, तो यह एक बड़ा संदेश देता है - कि आज का युग सिर्फ़ मोबाइल और सोशल मीडिया तक सीमित नहीं है। वे अपनी परंपराओं को भी जीवंत बनाए हुए हैं, और अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए ईश्वर के आगे नतमस्तक हैं।
इस यात्रा में, राहुल न सिर्फ़ ख़ुद प्रायश्चित कर रहे हैं, बल्कि अपनी प्रेमिका के सपनों के लिए ईश्वर से भीख माँग रहे हैं। यह समर्पण और प्रेम का संगम है।
राहुल की प्रेम कहानी – ईश्वर की अदालत में पेश एक दुआ
राहुल ने साफ़-साफ़ कह दिया है कि वे तभी शादी करेंगे जब उनकी प्रेमिका आईपीएस बन जाएँगी। यह बहुत ही प्यारा है जब वे कहते हैं कि वे अपने रिश्ते को तभी आगे बढ़ाएँगे जब दोनों अपने करियर में स्थिर हो जाएँगे।
ऐसा बदलाव कभी-कभार ही देखने को मिलता है। यह न सिर्फ़ एक प्रेम कहानी है, बल्कि एक सामाजिक संदेश भी है - कि प्रेम सिर्फ़ भावनाओं का नहीं, बल्कि समर्पण और समर्थन का प्रतीक है।
कांवड़ यात्रा सिर्फ़ एक धार्मिक यात्रा नहीं है, यह सामूहिक ऊर्जा, आत्मविश्वास और समर्पण का एक अद्भुत संगम है। कुछ लोग एक लीटर गंगाजल लाते हैं, कुछ सैकड़ों लीटर।