22 अगस्त को प्रदेशभर में ‘काम बंद-कलम बंद’ आंदोलन, कर्मचारी अधिकारी फेडरेशन ने बिगुल फूंका
सूरजपुर छत्तीसगढ़ प्रदेश कर्मचारी अधिकारी फेडरेशन ने अपनी ग्यारह सूत्रीय मांगों को लेकर 22 अगस्त को प्रदेशभर में ‘काम बंद-कलम बंद’ आंदोलन का ऐलान कर दिया है। फेडरेशन की प्रमुख मांगों में मोदी की गारंटी के तहत शासकीय सेवकों को कैशलेस चिकित्सा सुविधा, प्रथम नियुक्ति तिथि से सेवा गणना, केंद्रीय कर्मचारियों के समान देय तिथि से महंगाई भत्ता एवं लंबित एरियर्स का भुगतान, 300 दिवस अर्जित अवकाश का नगदीकरण, चार स्तरीय पदोन्नत समयमान वेतनमान सहित कर्मचारियों एवं पेंशनरों के हित में अन्य मांगें शामिल हैं।
आंदोलन को ऐतिहासिक बनाने के लिए फेडरेशन के प्रदेश संयोजक कमल वर्मा ने प्रत्येक जिले में प्रांतीय पर्यवेक्षकों की नियुक्ति की है। इन्हें जिला स्तरीय बड़ी बैठकें लेकर रणनीतिक निर्णय तय करने का दायित्व सौंपा गया है। इसी क्रम में मंगलवार को जिला चिकित्सालय के सभाकक्ष में एक अहम बैठक हुई, जिसकी अध्यक्षता प्रांतीय पर्यवेक्षक एवं जिला सूरजपुर फेडरेशन के प्रभारी डॉ. नृपेंद्र सिंह ने की। बैठक में पर्यवेक्षक विन्देश्वर रौतिया और सुनील कौशिक भी मौजूद रहे।
बैठक के दौरान डॉ. नृपेंद्र सिंह ने कहा कि 22 अगस्त का आंदोलन प्रदेश के सभी शासकीय कार्यालयों में असरदार और ऐतिहासिक होना चाहिए। उन्होंने सभी कर्मचारी-अधिकारियों से एकजुट होकर मानसिक रूप से तैयार रहने का आह्वान किया। जिला संयोजक डॉ. आर.एस. सिंह ने बताया कि आंदोलन की तैयारी को लेकर जिला टीम ने सभी ब्लॉकों का सघन दौरा कर बैठकों का आयोजन किया है। उनका कहना है कि यदि जल्द ही मोदी की गारंटी लागू नहीं की गई तो प्रदेश के कर्मचारी-अधिकारी अनिश्चितकालीन आंदोलन के लिए बाध्य होंगे।
कार्यक्रम का संचालन महासचिव इकबाल अंसारी और जिला संयोजक महिला प्रकोष्ठ प्रतिमा ने किया। उन्होंने प्रांतीय पर्यवेक्षकों का सूरजपुर आगमन पर स्वागत और धन्यवाद ज्ञापित किया।
बैठक में राजपत्रित अधिकारी संघ, शिक्षक घटक सर्व संघ, छ.ग. प्रदेश लिपिक संघ, स्वास्थ्य विभाग RHO संघ, नर्सिंग एसोसिएशन, तृतीय वर्ग कर्मचारी संघ, पटवारी संघ, वाहन चालक संघ और लघु वेतन कर्मचारी संघ समेत सभी संगठनों के पदाधिकारी और सदस्य मौजूद रहे।