छत्तीसगढ़ IFS अधिकारी अरुण प्रसाद का इस्तीफा सरकार ने दिया मंजूर
रायपुर, जुलाई 2025 छत्तीसगढ़ के प्रशासनिक हलचलों के बिच में एक महत्वपूर्ण बदलाव इस समय चर्चा का विषय बना हुआ है। वरिष्ठ भारतीय वन्य जीव (IFS) अधिकारी अरुण प्रसाद पी. के इस्तीफे को केंद्र सरकार ने औपचारिक रूप से मंजूरी दे दी है। अरुण प्रसाद वर्तमान में छत्तीसगढ़ पर्यावरण संरक्षण बोर्ड में विभाग सचिव के पद पर कार्यरत थे और वे 2006 बैच के संकट अधिकारी हैं। उनके इस्तीफे के बाद, राज्य प्रशासन में कई अटकलें और चर्चाएँ तेज हो गई हैं, खासकर इस बात को लेकर कि वे अब निजी क्षेत्र में एक बड़ी कंपनी से जुड़ सकते हैं।
IFS अधिकारी अरुण प्रसाद एक झलक परिचय
अरुण प्रसाद इंडियन टिम्बरलैंड बेनिफिट के 2006 समूह अधिकारी हैं। अपने लंबे प्रशासनिक करियर के दौरान उन्होंने छत्तीसगढ़ में कई महत्वपूर्ण पदों पर काम किया है। इनमें छत्तीसगढ़ राज्य यांत्रिक सुधार उद्यम (सीएसआईडीसी) और छत्तीसगढ़ मंडी बोर्ड के कार्यकारी कार्यकारी (एमडी) जैसे पद शामिल हैं। उनके यूनिवर्सल ऑटोमोबाइल, इनोवेशन और प्रमुख प्रबंधन में प्रशिक्षुओं के लिए वे हमेशा सरे जा रहे हैं।
वह पहले छत्तीसगढ़ पर्यावरण संरक्षण बोर्ड (सीएसपीसीबी) में सहायक सचिव के पद पर तैनात थे और इस पद पर अपने कार्यकाल के दौरान उन्होंने यांत्रिक प्रदूषण नियंत्रण, ई-कचरा प्रबंधन और वनों के संरक्षण से संबंधित कई परियोजनाओं को सफलतापूर्वक क्रियान्वित किया।
अरुण प्रसाद के इस्तीफे की खबर पिछले कुछ महीनों से सुर्खियों में थी। छत्तीसगढ़ के एक प्रमुख दैनिक समाचार पत्र 'छत्तीसगढ़' ने सबसे पहले इस संबंध में एक रिपोर्ट प्रकाशित की थी, जिसमें बताया गया था कि उन्होंने जानबूझकर अपने पदों से इस्तीफा दिया है। अब केंद्र सरकार द्वारा उनके इस्तीफे को स्वीकार किए जाने के बाद यह स्पष्ट हो गया है कि उन्होंने सरकारी सेवा को अलविदा कह दिया है।
सूत्रों की मानें तो अरुण प्रसाद ने व्यक्तिगत कारणों का हवाला देते हुए इस्तीफा दिया है, लेकिन नियामक हलकों में इस बात की जोरदार चर्चा है कि वह जल्द ही किसी प्रसिद्ध कॉर्पोरेट प्राकृतिक संसाधन कंपनी से जुड़ सकते हैं।
केंद्र सरकार ने दी मंजूरी
अनिश्चितता अधिकारियों की सहमति को स्वीकार करना जटिल है और इसके लिए केंद्र सरकार की अनुमति की आवश्यकता होती है। कुछ मामलों में इस प्रक्रिया में महीनों लग जाते हैं। लेकिन अरुण प्रसाद के मामले में, प्रक्रिया अपेक्षाकृत तेज़ थी और केंद्रीय पर्यावरण सेवा ने उनकी सहमति स्वीकार कर ली। अब राज्य सरकार को उनके स्थान पर किसी अन्य वरिष्ठ अधिकारी को नियुक्त करना होगा।
अरुण प्रसाद की सेवा यात्रा कई मायनों में महत्वपूर्ण रही है। मंडी बोर्ड के प्रबंध निदेशक रहते हुए उन्होंने ग्रामीण बाज़ारों के डिजिटलीकरण की दिशा में कई कदम उठाए। वहीं, सीएसआईडीसी में रहते हुए उन्होंने औद्योगिक विकास और निवेश प्रोत्साहन की दिशा में काम किया।
पर्यावरण सुरक्षा बोर्ड में उनके नेतृत्व में कई महत्वपूर्ण व्यवस्थागत बदलाव हुए। उन्होंने छत्तीसगढ़ में पर्यावरण स्वीकृति प्रक्रिया को सरल और समयबद्ध बनाने के लिए काम किया। उनकी प्रशासनिक शैली व्यवस्था और नवाचार का अद्भुत मिश्रण थी।
यह देखना दिलचस्प होगा कि सरकार इस पद के लिए किस अधिकारी को चुनती है - क्या यह दायित्व किसी अनुभवी अनिश्चितता अधिकारी को दिया जाएगा या राज्य नियामक लाभ के किसी वरिष्ठ अधिकारी को नामित किया जाएगा