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सरगुजा सांसद ने स्कूल में पढ़ाया हिंदी का पाठ बताया हिन्दी में फर्क

 

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सरगुजा सांसद ने स्कूल में पढ़ाया हिंदी का पाठ बताया हिन्दी में फर्क 




बलरामपुर जिले के शंकरगढ़ क्षेत्र में स्थित शासकीय उच्च प्राथमिक विद्यालय दुर्गापुर के छात्रों के लिए शुक्रवार का दिन बेहद खास रहा। आमतौर पर स्कूल में शिक्षक ही पढ़ाते हैं, लेकिन इस दिन सांसद चिंतामणि महाराज खुद शिक्षक बनकर स्कूल पहुंचे। उन्होंने न केवल हिंदी सिखाई, बल्कि बच्चों को भाषा की बारीकियाँ भी इतने सरल और सहज तरीके से समझाईं कि हर छात्र मंत्रमुग्ध हो गया।


औचक निरीक्षण से बना शिक्षा का अवसर

सरगुजा लोकसभा सीट से सांसद चिंतामणि महाराज अपने क्षेत्रीय दौरे के दौरान दुर्गापुर के शासकीय हाई स्कूल शंकरगढ़ में औचक निरीक्षण के लिए पहुंचे थे समीक्षा का उद्देश्य शैक्षणिक गुणवत्ता का आकलन करना था। विद्यालय के छात्रों से सीधे संवाद करना।


स्कूल पहुँचते ही सांसद ने प्रधानाचार्य और शिक्षकों से स्कूल की वर्तमान स्थिति के बारे में जानकारी ली। उन्होंने अधिकारियों को साफ़-सफ़ाई, शौचालय, पेयजल और अन्य ज़रूरी सुविधाओं के बारे में बुनियादी जानकारी भी दी। लेकिन सबसे ख़ास नज़ारा यह था कि सांसद सीधे कक्षा में जाकर पढ़ाने लगे।




कक्षा में सांसद की भूमिका एक शिक्षक की तरह

सुबह करीब 11 बजे सांसद कक्षा 6वीं के बच्चों के बीच पहुंचे। आरंभ में, उन्होंने विद्यार्थियों से हिंदी विषय से संबंधित कुछ प्रश्न पूछे। इसके बाद वे स्वयं स्लेट पर रचना करके निर्देश देने लगे। विषय था—मात्राओं और शब्दों का सही प्रयोग। उन्होंने उदाहरणों के माध्यम से बताया कि "कैसा" और "केसा" में क्या अंतर होता है।



कैसा' और 'केसा' का अंतर

बच्चों, ‘कैसा’ एक प्रश्नवाचक विशेषण है, जो किसी वस्तु की प्रकृति, प्रकार या रूप को दर्शाने के लिए प्रयोग होता है। जैसे—यह फूल कैसा है?


वहीं ‘केसा’ शब्द आमतौर पर गलत उच्चारण या वर्तनी की वजह से लिखा जाता है। इसका कोई मान्य उपयोग हिंदी व्याकरण में नहीं है। सही शब्द है—कैसा।”




संवाद के माध्यम से शिक्षा

सांसद ने बच्चों से पूछा कि स्कूल में उनका पसंदीदा विषय कौन सा है? हिंदी पढ़ने में किसे दिक्कत होती है? बच्चों ने बड़े उत्साह से अपने अनुभव बताए। एक छात्र ने पूछा, "सर, कभी-कभी 'है' और 'हैं' में उलझन होती है।"


जब एक से अधिक व्यक्ति या वस्तु की बात हो तो ‘हैं’ का प्रयोग होता है और जब किसी एक की बात हो तो ‘है’। जैसे – राम स्कूल गया है। राम और श्याम स्कूल गए हैं।




मात्राएं और उच्चारण पर खास जोर

सांसद ने कक्षा में एक छोटा सा अभ्यास भी कराया, जिसमें उन्होंने छात्रों से सही अक्षरों वाले शब्दों को टाइप करने को कहा। उन्होंने बताया कि अक्सर 'किताब' को 'किताब' और 'विद्यालय' को 'बिद्यालय' लिखा जाता है, जो गलत है। उन्होंने भाषण और लेखन में सामंजस्य के महत्व पर प्रकाश डाला।



बच्चों में बढ़ा आत्मविश्वास

बच्चों के लिए, यह मुलाक़ात सिर्फ़ एक विचार सत्र नहीं, बल्कि आत्मविश्वास बढ़ाने वाला पल था। जो बच्चे आमतौर पर सिर्फ़ भाषणों या बैठकों में ही खुले प्रतिनिधियों को देखते हैं, उनके लिए एक सांसद को ख़ुद अपने बीच बैठकर उन्हें निर्देश देते देखना एक अनोखा अनुभव था।


भविष्य के लिए आश्वासन

सांसद चिंतामणि महाराज ने भी आश्वासन दिया कि स्कूल की समस्याओं को आवश्यकतानुसार उजागर किया जाएगा। उन्होंने बच्चों को आश्वासन दिया कि अगली बार जब वे आएंगे, तो छात्रों से हिंदी में कविता पाठ और भाषण सुनना चाहेंगे।

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