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विश्रामपुर कन्या विद्यालय में बालिकाओं को मिला जागरूकता और प्रशिक्षण

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 विश्रामपुर कन्या विद्यालय में बालिकाओं को मिला जागरूकता और प्रशिक्षण


सूरजपुर जिले के विश्रामपुर में संचालित शासकीय बालिका उच्चतर माध्यमिक विद्यालय में आज बालिका सशक्तिकरण के इतिहास में एक उत्साहजनक अध्याय जुड़ गया। कलेक्टर श्री एस जयवर्धन एवं स्थानीय कार्यक्रम अधिकारी श्री शुभम बंसल के कुशल निर्देशन में आयोजित इस विशेष कार्यक्रम का उद्देश्य बालिकाओं को आत्मनिर्भर बनाना, उनमें आत्मविश्वास भरना तथा उन्हें उनके अधिकारों एवं सुरक्षा के प्रति जागरूक करना था।



आत्मरक्षा का प्रशिक्षण आत्मबल और आत्मविश्वास 

कार्यक्रम का मुख्य आकर्षण आत्मरक्षा प्रशिक्षण था, जिसमें सैकड़ों स्कूली युवतियों ने सक्रिय रूप से भाग लिया। इस प्रशिक्षण में युवतियों को सिखाया गया कि आपातकालीन स्थिति में खुद को कैसे सुरक्षित रखें। प्रशिक्षकों ने उन्हें सरल और प्रभावी रणनीतियां सिखाईं, जिनका उपयोग वे किसी भी आपातकालीन स्थिति में कर सकती हैं। प्रशिक्षण का उद्देश्य केवल शारीरिक सुरक्षा प्रदान करना नहीं था, बल्कि युवतियों को तर्कसंगत रूप से संलग्न करना था, ताकि वे भयमुक्त जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में आगे बढ़ें।



महिला सुरक्षा से जुड़े कानूनों की जानकारी

प्रशिक्षण के दौरान लड़कियों को महिलाओं और युवतियों से संबंधित विभिन्न कानूनों के बारे में शिक्षित किया गया, ताकि वे अपने कानूनी अधिकार प्राप्त कर सकें और आवश्यकता पड़ने पर उचित कदम उठा सकें। इन कानूनों में शामिल हैं।


कन्या भ्रूण हत्या निषेध अधिनियम इस कानून के तहत भ्रूण परीक्षण और भ्रूण हत्या को अपराध घोषित किया गया है और इसके उल्लंघन पर कड़ी सजा का प्रावधान है। छात्रों को समझाया गया कि लड़कियों को जन्म लेने का पूरा अधिकार है और हर लड़की का सम्मान के साथ स्वागत करना समाज का नैतिक दायित्व है।


बाल विवाह निषेध अधिनियम कार्यक्रम में स्पष्ट रूप से बताया गया कि 18 वर्ष से कम आयु की लड़की का विवाह करना कानूनन अपराध है तथा इसके विरुद्ध कठोर कार्रवाई की जाती है। बालिकाओं को बाल विवाह के दुष्परिणामों से अवगत कराया गया तथा समाज को बाल विवाह मुक्त बनाने के लिए प्रेरित किया गया।

घरेलू हिंसा अधिनियम घरेलू हिंसा को मानसिक, शारीरिक, आर्थिक या भावनात्मक दुर्व्यवहार के रूप में परिभाषित किया गया तथा कहा गया कि यह कानून महिलाओं को उनके परिवारों में सुरक्षित रखने के लिए बनाया गया है।



सखी वन स्टॉप सेंटर और हेल्पलाइन नंबरों की जानकारी

कार्यक्रम के दौरान सखी वन हेल्प सेंटर की भूमिका पर भी प्रकाश डाला गया, जो मुसीबत में फंसी महिलाओं को एक ही छत के नीचे मार्गदर्शन, कानूनी सहायता, चिकित्सा और पुलिस सहायता प्रदान करता है। छात्राओं को बताया गया कि अगर उन्हें या किसी अन्य महिला को उत्पीड़न का सामना करना पड़ता है, तो वे निम्नलिखित टोल फ्री नंबरों पर सहायता मांग सकती हैं:


181 – महिला हेल्पलाइन

1098 – चाइल्ड हेल्पलाइन

112 – आपातकालीन सेवा नंबर




समाज में लिंग भेद के विरुद्ध जागरूकता

तैयारी के साथ-साथ सामाजिक सोच में बदलाव लाने का प्रयास भी किया गया। युवतियों को बताया गया कि लैंगिक भेदभाव सिर्फ असंतुलन नहीं बल्कि प्रगति में बाधा है। समाज को यह समझना होगा कि लड़कियां बोझ नहीं बल्कि चुनौती हैं। वे परिवार और देश की शान हैं। इसलिए जब भी किसी घर में लड़की पैदा हो तो जश्न मनाना चाहिए, मातम नहीं।



शिक्षा और जागरूकता से ही बनती है सशक्त नारी

यह अवसर महज एक कार्यक्रम नहीं बल्कि एक सामाजिक बदलाव की शुरुआत है। जब लड़कियों को शिक्षा के साथ-साथ आत्मरक्षा, कानून और उनके अधिकारों के बारे में जानकारी दी जाती है, तो वे हर परिस्थिति में आत्मविश्वास के साथ खड़ी हो सकती हैं। यह आत्मविश्वास ही भविष्य के एक प्रबुद्ध, सक्षम और स्वतंत्र समाज की नींव रखता है। स्थानीय संगठन का यह काम निस्संदेह एक प्रेरणा है।

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