शनिवार की स्कूल समय-सारणी में हुआ बदलाव, नए निर्देश जारी – जानिए अब कैसे होगा स्कूल का संचालन
Chhattisgarh विद्यालयों में शनिवार को होने वाली गतिविधियों की व्यवस्था में बदलाव किया गया है। शिक्षा विभाग द्वारा जारी अधिसूचना के अनुसार, अब स्कूलों में नियमित कक्षाओं के बजाय शनिवार को विशेष व्यवस्था के तहत शैक्षिक गतिविधियाँ संचालित की जाएँगी। यह निर्णय शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार, छात्रों के बीच एक रोचक और रचनात्मक वातावरण बनाने और मानसिक तनाव को कम करने के उद्देश्य से लिया गया है।
जारी आदेश के अनुसार, अब प्रत्येक माह के पहले शनिवार को, विषय-आधारित कक्षाओं के स्थान पर, विद्यालयों में नियमित समय पर जाकर विद्यार्थियों के लिए सह-पाठ्यचर्या एवं व्यावहारिक गतिविधियाँ संचालित की जाएँगी। इसमें योग, खेलकूद, चित्रकला, कहानी लेखन, समूह भाषण, परीक्षा, शोध-पत्र प्रतियोगिता और संगीत जैसे कार्यक्रमों को प्राथमिकता दी जाएगी। शेष शनिवारों को शैक्षणिक कक्षाएं नियमित रूप से संचालित होंगी।
इस संबंध में, सभी वर्ग शिक्षा अधिकारियों (बीईओ), सहयोगी इकाई शिक्षा अधिकारियों (एबीईओ), क्लस्टर समन्वयकों, प्रधानाचार्यों और स्कूल प्रमुखों को स्पष्ट निर्देश जारी किए गए हैं कि वे पहले शनिवार के लिए कार्य योजना तैयार रखें और छात्रों को अधिक से अधिक गतिविधियों में भाग लेने के लिए प्रोत्साहित करें।
शिक्षा विभाग के अनुसार, यह बदलाव राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 की सिफारिशों के अनुरूप किया गया है। प्रस्ताव में स्पष्ट रूप से कहा गया है कि बच्चों की रचनात्मकता, क्षमता और संचार कौशल को बढ़ावा देने के लिए पारंपरिक शिक्षा के साथ-साथ एक आधुनिक दृष्टिकोण को भी अपनाया जाना चाहिए। साथ ही, पाठ्येतर गतिविधियाँ भी उतनी ही महत्वपूर्ण हैं। शनिवार को एक हल्के-फुल्के लेकिन सीखने के माहौल में बदलकर शिक्षा को अधिक प्रभावी और सुखद बनाने का प्रयास किया जा रहा है।
इस गतिविधि में शिक्षकों की भूमिका भी महत्वपूर्ण होगी। उन्हें छात्रों के लिए रचनात्मक गतिविधियों का आयोजन करना होगा, जिससे शिक्षण सत्र रोचक और उपयोगी बन सके। यह छात्रों के लिए अपनी प्रतिभा को पहचानने और उसे विकसित करने का एक शानदार अवसर होगा। यह दिन उनके लिए पारंपरिक पढ़ाई से हटकर, उत्साह और रचनात्मकता से जुड़ने और सीखने का एक शानदार अवसर होगा।
शनिवार की बदली हुई समय-सारिणी न केवल बच्चों के लिए एक रचनात्मक अवसर साबित होगी, बल्कि समग्र विकास की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम भी साबित होगी। शिक्षा विभाग का यह कदम निश्चित रूप से स्कूलों के लिए एक बड़ा प्रोत्साहन साबित होगा। इससे वातावरण को एक सकारात्मक दिशा मिलेगी और बच्चों की शैक्षिक भागीदारी बढ़ेगी।