शिक्षा विभाग की बड़ी लापरवाही 15 अगस्त को पूर्व माध्यमिक शाला केवरा में नहीं फहराया गया राष्ट्रीय ध्वज
सूरजपुर/प्रतापपुर स्वतंत्रता दिवस जैसे राष्ट्रीय पर्व पर जहां पूरे देश में तिरंगा शान से लहराता है, वहीं प्रतापपुर विकासखंड के ग्राम पंचायत केवरा में संचालित पूर्व माध्यमिक शाला में 15 अगस्त को न तो राष्ट्रीय ध्वज फहराया गया और न ही स्कूल का ताला खोला गया। इस गंभीर लापरवाही ने शिक्षा विभाग की कार्यशैली और निगरानी व्यवस्था पर सवाल खड़े कर दिए हैं।
स्थानीय जनप्रतिनिधियों और ग्रामीणों के अनुसार, 15 अगस्त और 26 जनवरी जैसे अवसरों पर हमेशा स्कूल में ध्वजारोहण, सलामी और राष्ट्रगान का आयोजन होता रहा है, लेकिन इस बार बिना किसी स्पष्ट कारण के यह परंपरा टूट गई। इससे न केवल ग्रामीणों में निराशा है, बल्कि आक्रोश भी व्याप्त है।
जनप्रतिनिधियों और ग्रामीणों में आक्रोश
ग्राम पंचायत केवरा के जनप्रतिनिधियों ने इस घटना को शिक्षा प्रबंधन की गंभीर लापरवाही बताया है। उनका कहना है कि स्वतंत्रता दिवस हमारे देश का गौरवमयी दिन है, जिसे सम्मानपूर्वक मनाना हर शैक्षणिक संस्था का कर्तव्य है। यदि इस प्रकार की घटनाएं होती रहीं, तो यह आने वाली पीढ़ी में गलत संदेश देगा। उन्होंने मांग की है कि शिक्षा विभाग तत्काल इस मामले की उच्च स्तरीय जांच कर जिम्मेदार अधिकारियों और कर्मचारियों पर कड़ी कार्रवाई करे, अन्यथा वे जन आंदोलन के लिए बाध्य होंगे।
विकासखंड शिक्षा अधिकारी की निगरानी पर सवाल
इस घटना ने विकासखंड शिक्षा अधिकारी (BEO) की कार्यप्रणाली पर भी गंभीर प्रश्नचिन्ह खड़े कर दिए हैं। उनके अधीनस्थ स्कूल में इतनी बड़ी चूक हो गई और उन्हें इसकी जानकारी तक नहीं थी। ग्रामीणों का कहना है कि यदि अधिकारी स्तर पर ही लापरवाही बरती जाएगी तो शिक्षा व्यवस्था में सुधार की उम्मीद करना व्यर्थ है।
राष्ट्रीय पर्व का महत्व और जिम्मेदारी
15 अगस्त 1947 को भारत ने ब्रिटिश शासन से आज़ादी प्राप्त की थी। तभी से यह दिन स्वतंत्रता दिवस के रूप में देशभर में बड़े उत्साह से मनाया जाता है। सरकारी, अर्ध-सरकारी, और निजी संस्थानों में ध्वजारोहण, सांस्कृतिक कार्यक्रम और देशभक्ति के आयोजन होते हैं। ऐसे में किसी भी सरकारी स्कूल में राष्ट्रीय ध्वज न फहराना न केवल संवैधानिक मर्यादा का उल्लंघन है, बल्कि देशभक्ति की भावना को ठेस पहुंचाने जैसा है।
ग्रामीणों की चेतावनी
ग्रामवासियों का कहना है कि यदि दोषियों पर त्वरित और कठोर कार्रवाई नहीं हुई, तो वे शिक्षा विभाग के खिलाफ व्यापक जन आंदोलन छेड़ेंगे। उनका मानना है कि राष्ट्रीय पर्व की गरिमा बनाए रखना और आने वाली पीढ़ी को इसके महत्व से परिचित कराना हर संस्था की जिम्मेदारी है।