मंत्रालय में नौकरी लगवाने के नाम पर 70 लाख की ठगी, पिता-पुत्र गिरफ्तार, तीसरा आरोपी फरार
दुर्ग। मंत्रालय में चपरासी और बाबू की नौकरी लगवाने के नाम पर बड़े पैमाने पर ठगी करने का मामला सामने आया है। पुलिस ने इस मामले में पिता-पुत्र को गिरफ्तार कर लिया है, जबकि तीसरा आरोपी अभी फरार है। आरोपियों ने अब तक 12 से अधिक लोगों को ठगी का शिकार बनाकर लगभग 70 लाख रुपये ऐंठ लिए।
नौकरी का झांसा देकर वसूले लाखों
जानकारी के मुताबिक, दुर्ग जिले के अंजोरा थाना क्षेत्र में रहने वाले भेषराम देशमुख (पूर्व कर्मचारी, वेटरनरी कॉलेज) और उसके बेटे रविकांत देशमुख ने मंत्रालय में नौकरी दिलाने का झांसा देकर भोले-भाले लोगों से लाखों रुपये वसूले। आरोपियों ने चपरासी की नौकरी के लिए 2.50 लाख रुपये और बाबू की नौकरी के लिए 4 लाख रुपये की ‘रेट लिस्ट’ तय कर रखी थी।
धोखाधड़ी की रकम से खरीदी जमीन
पुलिस जांच में खुलासा हुआ कि आरोपियों ने ठगी की रकम से ग्राम कुथरेल में जमीन भी खरीदी थी। पूछताछ में दोनों ने स्वीकार किया कि अब तक उन्होंने 70 लाख रुपये की ठगी की, जिसमें से 20 लाख रुपये उनके हिस्से आए। इन पैसों से उन्होंने प्लॉट खरीदा और बाकी रकम खर्च कर दी।
ऐसे फंसे जाल में
बालोद जिले के ग्राम चिरवार निवासी पीड़ित संतराम देशमुख (54 वर्ष) ने अंजोरा थाने में रिपोर्ट दर्ज कराई। उसने बताया कि आरोपी भेषराम ने मंत्रालय में पहचान होने का हवाला देकर उसके बेटे और दामाद की नौकरी लगवाने का झांसा दिया। इतना ही नहीं, विश्वास दिलाने के लिए उन्होंने अपने बेटे की नौकरी लगने की फर्जी जानकारी भी दी। संतराम ने जून 2022 में दोनों की नौकरी के लिए ढाई-ढाई लाख रुपये और जरूरी दस्तावेज आरोपियों को सौंप दिए। लेकिन न नौकरी मिली और न ही रकम वापस हुई।
पुलिस की कार्रवाई और तीसरे आरोपी की तलाश
पीड़ित की शिकायत पर पुलिस ने 3 सितंबर 2025 को मामला दर्ज किया। कार्रवाई करते हुए अंजोरा थाना पुलिस ने पिता-पुत्र को दुर्ग बस स्टैंड से गिरफ्तार कर लिया। वहीं इस पूरे खेल का मास्टरमाइंड, राजनांदगांव निवासी अरुण मेश्राम अब भी फरार है। पुलिस ने उसके खिलाफ भी तलाश शुरू कर दी है।