किसानों के हित में बड़ा फैसला जबरन उर्वरक के साथ अन्य उत्पाद बेचने वालों पर होगी सख्त कार्रवाई, शिकायत के लिए हेल्पलाइन नंबर जारी
डीएपी, यूरिया जैसे अनुदानित उर्वरकों की बढ़ती मांग को देखते हुए बिहार सरकार ने किसानों के हित में बड़ा कदम उठाया है। राज्य में अब इन उर्वरकों के साथ जबरन अन्य उत्पाद जैसे कीटनाशी, नैनो उर्वरक या जैव उत्प्रेरक बेचने पर पूरी तरह प्रतिबंध लगा दिया गया है। कृषि मंत्री सह उप मुख्यमंत्री विजय कुमार सिन्हा ने स्पष्ट कहा है कि किसानों को अनावश्यक रूप से अतिरिक्त खर्च में डालने वाले दुकानदारों पर सरकार सख्त कार्रवाई करेगी।
कृषि मंत्री ने जानकारी दी कि यह फैसला रसायन एवं उर्वरक मंत्रालय, भारत सरकार के निर्देशों के आलोक में लिया गया है। राज्य सरकार की "जीरो टॉलरेंस नीति" के तहत अब किसी भी उर्वरक विक्रेता—चाहे वह थोक हो या खुदरा—को अनुदानित यूरिया या डीएपी के साथ अन्य उत्पाद जबरन बेचने की अनुमति नहीं होगी। इस निर्देश का उल्लंघन करने वाले व्यापारियों के खिलाफ उर्वरक नियंत्रण आदेश व अन्य वैधानिक प्रावधानों के अंतर्गत कड़ी कार्रवाई की जाएगी।
विक्रेताओं को दी गई चेतावनी
कृषि मंत्री ने बताया कि राज्य भर में कुछ विक्रेताओं द्वारा किसानों को मजबूर किया जा रहा था कि वे यूरिया या डीएपी के साथ अन्य महंगे उत्पाद भी खरीदें। यह किसानों के साथ सीधा अन्याय है। उन्होंने स्पष्ट चेतावनी दी कि ऐसे मामलों में अब कोई ढील नहीं दी जाएगी। सभी उर्वरक निर्माता, विपणनकर्ता और विक्रेता इस निर्देश का पालन सुनिश्चित करें।
किसान कहाँ करें शिकायत?
राज्य सरकार ने किसानों की सुविधा के लिए शिकायत दर्ज करने के लिए हेल्पलाइन भी जारी किया है। यदि किसी किसान के साथ जबरन टैगिंग या ऊंची कीमत वसूली का मामला सामने आता है, तो वे तुरंत जिला कृषि पदाधिकारी, या राज्य स्तर पर हेल्पलाइन नंबर 0612-2233555 और व्हाट्सएप नंबर 7766085888 पर शिकायत दर्ज करा सकते हैं। शिकायत मिलने पर संबंधित अधिकारी तत्काल प्रभावी कार्रवाई करेंगे।
उर्वरकों की कीमतें और आपूर्ति
राज्य में उर्वरकों की पर्याप्त उपलब्धता सुनिश्चित की गई है। सरकार ने जानकारी दी है कि वर्तमान में बिहार के किसी भी जिले में उर्वरक की कमी नहीं है। साथ ही यूरिया (नीम लेपित) 45 किलो की बोरी की अधिकतम कीमत 266.50 रुपए, और डीएपी 50 किलो की बोरी की कीमत 1350 रुपए निर्धारित की गई है। इससे अधिक कीमत वसूलना अवैध होगा।
यह फैसला बिहार सरकार द्वारा किसानों के साथ हो रहे आर्थिक शोषण को रोकने की दिशा में एक बड़ा कदम माना जा रहा है। पारदर्शिता और किसानों के अधिकारों की रक्षा के लिए उठाया गया यह कदम निश्चित रूप से प्रदेश के कृषि क्षेत्र में सकारात्मक बदलाव लाएगा।