छत्तीसगढ़ शराब घोटाला 29 आबकारी अधिकारियों पर गिरफ्तारी का खतरा, कोर्ट ने जारी किए जमानती वारंट
रायपुर। छत्तीसगढ़ के बहुचर्चित शराब घोटाले में फंसे आबकारी विभाग के अधिकारियों पर गिरफ्तारी का खतरा और गहराता जा रहा है। बुधवार को भी आरोपी बनाए गए 29 तत्कालीन आबकारी अधिकारी एसीबी-ईओडब्ल्यू की विशेष अदालत में पेश नहीं हुए। इस पर नाराजगी जताते हुए कोर्ट ने सभी के खिलाफ जमानती वारंट जारी कर दिया है। अब इस मामले की अगली सुनवाई 23 सितंबर को होगी।
दो महीने बाद गिरफ्तारी वारंट की कार्रवाई संभव
कोर्ट ने साफ निर्देश दिया है कि अगली तारीख पर सभी आरोपियों को व्यक्तिगत रूप से हाजिर होना होगा। यदि इसके बाद भी ये अधिकारी कोर्ट में पेश नहीं होते तो उनके खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी किया जाएगा। इसके बाद जांच एजेंसी आरोपियों की गिरफ्तारी की कार्रवाई कर सकेगी। इधर, आरोपी अधिकारी सुप्रीम कोर्ट में जमानत के लिए अर्जी दाखिल करने की तैयारी में हैं, क्योंकि हाईकोर्ट उनकी याचिका पहले ही खारिज कर चुका है।
किन अधिकारियों पर कार्रवाई?
इस मामले में कुल 29 अधिकारी आरोपी बनाए गए हैं। इनमें से 8 अधिकारी सेवानिवृत्त हो चुके हैं जबकि 21 अब भी सेवा में हैं, जिन्हें सरकार ने निलंबित कर रखा है। आरोपियों में प्रमुख नाम शामिल हैं –
नोहर सिंह ठाकुर
नीतू नोतानी
अरविंद पाटले
नवीन प्रताप तोमर
राजेश जायसवाल
विकास गोस्वामी
दिनकर वासनिक
अनिमेष नेताम
सौरभ बख्शी
मोहित जायसवाल
आशीष कोसम
गरीब पाल दर्दी
एके सिंह
प्रकाश पाल
रामकृष्ण मिश्रा
नितिन खंडूजा
मंजुश्री कसेर
वेदराम लहरे
एके अनंत
एलएल ध्रुव
विजय सेन शर्मा
प्रमोद नेताम
सोनल नेताम
आलेख सिदार
जेआर मंडावी
जीआर पैकरा
जीएस नुरुटी
देवलाल वैध
(मृतक) अशोक सिंह3200 करोड़ से अधिक का घोटाला
ईओडब्ल्यू की चार्जशीट के अनुसार यह घोटाला साल 2018 से 2023 के बीच हुआ। जब प्रदेश में कांग्रेस की सरकार थी, उस दौरान शराब के अवैध कारोबार से करीब 3200 करोड़ रुपए से अधिक का घोटाला सामने आया। पहले अनुमान था कि यह घोटाला 2174 करोड़ रुपए का है, लेकिन जांच गहराने पर रकम और बढ़ गई।
चार्जशीट में खुलासा हुआ है कि आरोपी अधिकारियों ने शराब की अवैध पेटियों की सप्लाई कराई और इससे हुए मुनाफे का बड़ा हिस्सा अपने व परिजनों की संपत्ति खरीदने में लगाया। कई अधिकारियों ने रिश्तेदारों के नाम पर करोड़ों की जमीन-जायदाद खड़ी कर ली।
अब तक की कार्रवाई
इस शराब घोटाले में कई बड़े राजनीतिक नेताओं और अफसरों को जेल भेजा जा चुका है। वहीं आरोपी अधिकारी गिरफ्तारी से बचने के लिए कानूनी दांव-पेंच आजमा रहे हैं। लेकिन अब कोर्ट द्वारा जमानती वारंट जारी होने के बाद उनके सामने मुश्किलें और बढ़ गई हैं।