रेत तस्करी बनी विकास के लिए अभिशाप महानदी पर बना पुल ध्वस्त, ग्रामीणों की बढ़ी परेशानी
कांकेर, छत्तीसगढ़ - विकास की कड़ी मानी जाने वाली बुनियादी नींव उस समय खतरे में पड़ गई जब कांकेर जिले के चारामा विकास खंड के अंतर्गत हाराडुला कस्बे में महानदी पर बना पुल अचानक बीचोंबीच ढह गया। यह पुल कई दशकों तक आसपास के कस्बों के लोगों के लिए आवागमन का मुख्य साधन था, लेकिन अब इसके ढह जाने से ग्रामीणों की मुश्किलें कई गुना बढ़ गई हैं।
रेत तस्करी बनी पुल के धंसने की बड़ी वजह ग्रामीणों का कहना है कि इस इलाके में लंबे समय से अवैध रूप से रेत निकाली जा रही थी। नदी से इतनी रेत निकाली गई कि नाले की गहराई 10 फीट बढ़ गई, जिससे पुल की नींव कमजोर पड़ गई। इसके अलावा, रेत से लदे भारी वाहनों के रोज़ाना आवागमन से पुल की संरचना पर अतिरिक्त भार पड़ा, जिसके कारण पुल अब बीच से ढह गया है और आवाजाही के लिए पूरी तरह से खतरनाक हो गया है।
शिकायतों के बावजूद प्रशासन मौन हाराडुला के ग्रामीणों ने बताया कि उन्होंने रेत चोरी की शिकायत कई बार प्रशासन से की थी। नदी के दोनों ओर रेत खदानें स्वीकृत थीं, लेकिन नियमों की अनदेखी कर वहाँ अवैध खनन जारी रहा। ग्रामीणों का कहना है कि प्रशासन ने इन शिकायतों पर कभी कोई गंभीर कार्रवाई नहीं की। अब जब पुल टूट गया है, तो उनकी आशंकाएँ सच साबित हुई हैं।
ग्रामीणों ने रेत तस्करों के साथ मिलीभगत करने वाली कंपनी के खिलाफ खुलकर आवाज़ उठाई है। उनका कहना है कि चूँकि अधिकारी इस रास्ते का इस्तेमाल नहीं करते, इसलिए उन्हें इसकी कोई परवाह नहीं है। लेकिन इस पुल के टूटने से कस्बे के सैकड़ों लोगों की दिनचर्या प्रभावित हुई है। स्कूल जाने वाले बच्चों, अस्पताल जाने वाले मरीजों और बाज़ार जाने वाले आम लोगों के लिए यह एक बड़ी समस्या बन गई है।
यह घटना किसी पुल के ढहने की कहानी मात्र नहीं है, बल्कि इसने भी प्रशासनिक लापरवाही, भ्रष्टाचार और पर्यावरण के दुरुपयोग के खतरनाक मिश्रण की सच्चाई उजागर कर दी है। जहाँ एक ओर सरकार ग्रामीण क्षेत्रों में विकास का दावा करती है, वहीं दूसरी ओर ऐसी घटनाएँ उन दावों की पोल खोलती हैं।