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सरगुजा/अंबिकापुर |
Ambikapur News सिस्टम की शर्मनाक तस्वीर हाईवे पर स्ट्रेचर से ले जाया गया जिंदगी और मौत से जूझता मरीज Live वीडियो देखें
सरगुजा/अंबिकापुर। Cg News छत्तीसगढ़ के अंबिकापुर स्थित सरकारी मेडिकल कॉलेज अस्पताल से स्वास्थ्य व्यवस्था की लापरवाही का शर्मनाक मामला सामने आया है। यहां समय पर एंबुलेंस उपलब्ध न होने के कारण जिंदगी और मौत से जूझ रहे मरीज को परिजन खुद ही स्ट्रेचर में धकेलकर हाईवे पार ले जाने को मजबूर हो गए। मरीज के साथ ऑक्सीजन सिलेंडर जुड़ा हुआ था और अस्पताल की महिला कर्मचारी सिलेंडर संभालते हुए सड़क पार कर रही थी। यह खतरनाक दृश्य कैमरे में कैद होकर सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो गया है।
दो हिस्सों में बंटा अस्पताल, बीच से गुजरता हाईवे
अंबिकापुर मेडिकल कॉलेज अस्पताल की संरचना ही मरीजों के लिए परेशानी का सबब बन गई है। अस्पताल दो हिस्सों में बंटा हुआ है और बीच से नेशनल हाइवे गुजरता है। दूसरे हिस्से में महिला सर्जिकल व एमसीएच विभाग संचालित हैं। मरीजों को एक हिस्से से दूसरे हिस्से में ले जाने के लिए एंबुलेंस सुविधा उपलब्ध कराई गई है, लेकिन जरूरत के समय यह सुविधा अक्सर नदारद रहती है।
हादसे को दावत देता मजबूरी भरा कदम
ताजा घटना में एक महिला मरीज को नकीपुरिया वार्ड से अस्पताल के दूसरे हिस्से में शिफ्ट करना था। एंबुलेंस उपलब्ध न होने पर परिजन खुद ही स्ट्रेचर धकेलकर हाईवे पार करने लगे। इस दौरान ऑक्सीजन सिलेंडर भी साथ था और जरा सी चूक से बड़ा हादसा हो सकता था। लेकिन अस्पताल प्रबंधन की लापरवाही और अव्यवस्था के आगे मजबूर परिजनों को यही कदम उठाना पड़ा।
प्रबंधन की सफाई
मामला तूल पकड़ने पर अस्पताल अधीक्षक डॉ. आरसी आर्या ने सफाई दी। उन्होंने कहा, अस्पताल में एंबुलेंस की व्यवस्था है, लेकिन जिस समय यह मरीज आया, उसी समय एंबुलेंस एक गंभीर मरीज को लेकर गई हुई थी। थोड़ी देर बाद एंबुलेंस वापस भी आ गई थी, मगर तब तक परिजन खुद ही मरीज को ले गए।
स्वास्थ्य सेवाओं की लचर तस्वीर
यह कोई पहली घटना नहीं है। हाल ही में तखतपुर उपस्वास्थ्य केंद्र में बिजली गुल रहने के कारण डॉक्टर को टॉर्च की रोशनी में महिला की डिलीवरी करनी पड़ी थी। तीन दिन से वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल है, लेकिन स्वास्थ्य मंत्री श्याम बिहारी जायसवाल तक इसकी जानकारी नहीं पहुंची। जब पत्रकारों ने सवाल किया तो उन्होंने मासूमाना जवाब दिया—मुझे घटना की जानकारी नहीं है। बाद में उन्होंने जांच और आवश्यक कार्रवाई का भरोसा दिलाया।
सवालों के घेरे में स्वास्थ्य विभाग
लगातार सामने आ रही घटनाओं ने स्वास्थ्य व्यवस्था की खस्ताहाल तस्वीर उजागर कर दी है। सवाल यह है कि आखिर कब तक मरीज और उनके परिजन ऐसी अव्यवस्थाओं के शिकार होते रहेंगे? क्या केवल जांच और बयानबाजी से सिस्टम सुधरेगा या फिर वाकई जिम्मेदार अधिकारी और विभाग ठोस कदम उठाएंगे?