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स्वास्थ्य मितानिन संघ 7 अगस्त से अनिश्चितकालीन हड़ताल पर, सभी संभागों में प्रदर्शन की घोषणा

स्वास्थ्य मितानिन संघ 7 अगस्त से अनिश्चितकालीन हड़ताल पर, सभी संभागों में प्रदर्शन की घोषणा

 स्वास्थ्य मितानिन संघ 7 अगस्त से अनिश्चितकालीन हड़ताल पर, सभी संभागों में प्रदर्शन की घोषणा



रायपुर छत्तीसगढ़ की स्वास्थ्य सेवाओं की रीढ़ मानी जाने वाली मितानिनें अब अपने अधिकारों के लिए मैदान में उतर आई हैं। छत्तीसगढ़ स्वास्थ्य मितानिन संघ ने 7 अगस्त से अनिश्चितकालीन हड़ताल और कलमबंद आंदोलन की घोषणा की है। यह आंदोलन राजधानी रायपुर के नया रायपुर स्थित तूता धरना स्थल में शुरू होगा और चरणबद्ध तरीके से राज्य के सभी संभागों में किया जाएगा।

संघ की ओर से जारी जानकारी के अनुसार, रायपुर संभाग की मितानिनें 7 अगस्त को, दुर्ग संभाग की 8 अगस्त को, बिलासपुर संभाग की 9 अगस्त को, सरगुजा संभाग की 10 अगस्त को और बस्तर संभाग की मितानिनें 11 अगस्त को प्रदर्शन करेंगी।

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सरकार पर वादाखिलाफी का आरोप

मितानिन संघ की पदाधिकारियों ने आरोप लगाया है कि 2023 के विधानसभा चुनाव में सरकार ने अपने घोषणा पत्र में वादा किया था कि मितानिन, मितानिन प्रशिक्षक, हेल्प डेस्क फैसिलिटेटर और ब्लॉक कोऑर्डिनेटरों को राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (NHM) के अंतर्गत लाया जाएगा। लेकिन इसके उलट सरकार ने कार्यक्रम संचालन की जिम्मेदारी दिल्ली की एक एनजीओ को सौंप दी है, जिससे राज्यभर की मितानिनें खुद को उपेक्षित और ठगा हुआ महसूस कर रही हैं।

तीन सूत्रीय मांगों को लेकर खोला मोर्चा

मितानिन संघ ने अपनी तीन मुख्य मांगों को लेकर यह आंदोलन छेड़ा है। इनमें शामिल हैं:

  1. मितानिनों को NHM के अंतर्गत लाने की घोषणा पर अमल किया जाए।

  2. वर्तमान कार्य संचालन से दिल्ली की एनजीओ को हटाया जाए।

  3. मितानिनों को स्थायी कर्मचारी का दर्जा एवं नियमित मानदेय सुनिश्चित किया जाए।

इससे पहले 29 जुलाई को भी राजधानी रायपुर में मितानिनों ने जोरदार प्रदर्शन किया था और सरकार को चेतावनी दी थी कि यदि मांगे पूरी नहीं की गईं तो वे व्यापक आंदोलन के लिए मजबूर होंगी।

प्रदेश में लगभग 72,000 मितानिनें कार्यरत हैं जो ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में प्राथमिक स्वास्थ्य सेवाओं की जिम्मेदारी निभा रही हैं। इन मितानिनों का कहना है कि वे वर्षों से सेवा दे रही हैं, लेकिन उनके हितों की लगातार अनदेखी की जा रही है।

अब देखना यह होगा कि सरकार इस आंदोलन को लेकर क्या रुख अपनाती है, क्योंकि मितानिनों की हड़ताल का सीधा असर राज्य की स्वास्थ्य सेवाओं पर पड़ना तय है।


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