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भारतीय डाक सेवा ठप ग्रामीणों और छोटे व्यापारियों की बढ़ी परेशानी

भारतीय डाक सेवा ठप ग्रामीणों और छोटे व्यापारियों की बढ़ी परेशानी

 भारतीय डाक सेवा ठप ग्रामीणों और छोटे व्यापारियों की बढ़ी परेशानी



सुरजपुर/प्रतापपुर एक ओर जहां भारत सरकार डिजिटल इंडिया के तहत सेवाओं को आधुनिक रूप देने का दावा कर रही है, वहीं दूसरी ओर भारतीय डाक विभाग की लापरवाही ने ग्रामीणों, छोटे व्यापारियों, विद्यार्थियों और आम नागरिकों की मुश्किलें बढ़ा दी हैं।


1 अगस्त 2025 से लेकर 4 अगस्त 2025 तक विभाग द्वारा तकनीकी अपग्रेडेशन के नाम पर डाक सेवाओं को अस्थायी रूप से बंद किया गया था, लेकिन अब 8 अगस्त हो चुका है और अभी तक डाक सेवाएं शुरू नहीं हो पाई हैं।


प्रभावित सेवाएं

सामान्य नागरिकों को सबसे अधिक परेशानी डाक विभाग की इन प्रमुख सेवाओं के बंद होने से हो रही है:


पत्र व्यवहार

पार्सल डिलीवरी

मनीऑर्डर

स्पीड पोस्ट

बचत योजनाएं

ग्रामीण डाक जीवन बीमा

विभिन्न सरकारी योजनाओं से जुड़ी सेवाएं


ग्रामीण इलाकों में भारी असर

ग्राम पंचायतों, दूरदराज के गांवों और छोटे कस्बों के लोग नियमित रूप से डाकघर की सेवाओं पर निर्भर रहते हैं। किसानों और वृद्धजनों को जहां मनीऑर्डर के माध्यम से पेंशन या अनुदान राशि प्राप्त होती थी, वहीं छोटे व्यापारी अपने पार्सल और व्यापारिक पत्राचार में डाक विभाग पर निर्भर हैं।


डाक सेवाओं के रुकने से छात्रों के आवेदन, दस्तावेज भेजने, प्रवेश पत्र प्राप्त करने जैसी आवश्यक गतिविधियों में भी बाधा उत्पन्न हो रही है।


जनता में आक्रोश स्थानीय निवासी और व्यापारी वर्ग डाक विभाग की इस लापरवाही से बेहद नाराज़ हैं। लोगों का कहना है कि अब तक कभी इस तरह की स्थिति नहीं बनी थी। तकनीकी बदलाव के नाम पर बिना किसी वैकल्पिक व्यवस्था के सेवाएं रोक देना आम जनता की जरूरतों के साथ खिलवाड़ है।


एक व्यापारी ने कहा, "हम वर्षों से डाक विभाग की सेवाएं ले रहे हैं लेकिन पहली बार इतना लंबा व्यवधान देखा। यह पूरी तरह विभाग की लापरवाही है।"


प्रशासन की चुप्पी इतनी बड़ी असुविधा के बावजूद अभी तक न तो किसी अधिकारी ने स्थिति स्पष्ट की है और न ही कोई वैकल्पिक व्यवस्था उपलब्ध कराई गई है। डाक विभाग की ओर से न कोई सूचना बोर्ड लगाया गया है और न ही कोई हेल्पलाइन सक्रिय है।


भारतीय डाक सेवा ठप ग्रामीणों और छोटे व्यापारियों की बढ़ी परेशानी



सवाल उठते हैं...

क्या तकनीकी अपग्रेडेशन की सूचना पहले से नहीं दी जा सकती थी?


अगर सेवाएं अस्थायी रूप से रोकी गईं थीं तो अब तक चालू क्यों नहीं हुईं?

विभाग के पास क्या बैकअप प्लान नहीं था?

क्या ग्रामीणों और छोटे कस्बों के लोगों की जरूरतें गौण समझी जा रही हैं?


अब सबकी निगाहें मीडिया पर

अब यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि इस खबर के प्रकाशन के बाद भारतीय डाक विभाग हरकत में आता है या नहीं। जनता को उम्मीद है कि मीडिया के हस्तक्षेप से विभाग चेतेगा और जल्द से जल्द सेवाएं बहाल होंगी।


जब तक डाक सेवाएं पुनः शुरू नहीं होतीं, तब तक यह संकट न केवल प्रशासन की नाकामी का प्रतीक बना रहेगा, बल्कि आम जनता की सहनशीलता की भी परीक्षा लेता रहेगा।

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