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जिला जेल सूरजपुर में रक्षाबंधन पर्व हेतु विशेष सुरक्षा निर्देश, बंदियों से मिलन को लेकर जारी की गई गाइडलाइन

जिला जेल सूरजपुर में रक्षाबंधन पर्व हेतु विशेष सुरक्षा निर्देश, बंदियों से मिलन को लेकर जारी की गई गाइडलाइन

 जिला जेल सूरजपुर में रक्षाबंधन पर्व हेतु विशेष सुरक्षा निर्देश, बंदियों से मिलन को लेकर जारी की गई गाइडलाइन



सूरजपुर, 06 अगस्त 2025 — रक्षाबंधन जैसे पवित्र पर्व को ससम्मान और शांतिपूर्ण तरीके से मनाने के उद्देश्य से जिला जेल सूरजपुर द्वारा विशेष सुरक्षा और प्रबंधन व्यवस्था की गई है। जेल मुख्यालय, छत्तीसगढ़, नवा रायपुर के दिशा-निर्देशों के अनुसार 09 अगस्त को राखी बांधने हेतु बंदियों को बहनों से मिलने की अनुमति दी गई है, लेकिन इसके लिए कड़े नियमों और सुरक्षा उपायों को अपनाया गया है।


सुरक्षा होगी प्राथमिकता

जेल प्रशासन ने स्पष्ट किया है कि जेल में किसी भी प्रकार की अव्यवस्था या सुरक्षा उल्लंघन को रोकने के लिए तमाम एहतियात बरती जाएंगी। रक्षाबंधन के दिन जेल परिसर में केवल उन्हीं बहनों को प्रवेश की अनुमति दी जाएगी जो निर्धारित नियमों का पालन करेंगी।


रक्षाबंधन मिलन हेतु जारी दिशा-निर्देश इस प्रकार हैं:

एक बंदी से अधिकतम दो बहनों को ही मिलन की अनुमति होगी।

प्रत्येक बहन केवल 100 ग्राम पैक्ड सोनपापड़ी ही साथ ला सकती है।

राखी बांधने के लिए अधिकतम 15 मिनट का समय दिया जाएगा।

आधार कार्ड लाना अनिवार्य होगा, जिसकी जाँच के बाद ही प्रवेश मिलेगा।

मोबाइल फोन, नगद राशि, तंबाकू, गुटखा, गांजा, चरस या किसी भी प्रकार का मादक पदार्थ पूरी तरह प्रतिबंधित रहेगा।

नियमों का उल्लंघन करने पर संबंधित व्यक्तियों के विरुद्ध सख्त वैधानिक कार्यवाही की जाएगी।

सकारात्मक पहल की सराहना


जिला जेल प्रशासन की यह पहल न केवल रक्षाबंधन जैसे पारिवारिक पर्व की गरिमा को बनाए रखने की दिशा में एक कदम है, बल्कि यह सुरक्षा और अनुशासन के बीच संतुलन बनाने का भी एक सराहनीय प्रयास है। जेल अधीक्षक ने बताया कि बंदियों और उनके परिजनों को मानवीय भावनाओं से जोड़ने के लिए इस प्रकार के पर्वों को मनाने का अवसर दिया जाता है, परंतु सुरक्षा से कोई समझौता नहीं किया जाएगा।


जिला जेल सूरजपुर का यह आयोजन यह दर्शाता है कि प्रशासनिक स्तर पर भी बंदियों के सामाजिक और भावनात्मक पक्ष को समझते हुए सशर्त रूप से पारिवारिक पर्वों को मनाने की छूट दी जा रही है, जिससे उनके पुनर्वास की प्रक्रिया को भी बल मिलता है।

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