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बाल विवाह मुक्त पंचायत के लिए सरपंच-सचिवों को दिया गया प्रशिक्षण

 

बाल विवाह मुक्त पंचायत के लिए सरपंच-सचिवों को दिया गया प्रशिक्षण

बाल विवाह मुक्त पंचायत के लिए सरपंच-सचिवों को दिया गया प्रशिक्षण



सूरजपुर जिले को बाल विवाह मुक्त बनाने के लिए जिला प्रशासन ने एक महत्वपूर्ण पहल करते हुए जनपद पंचायत भैयाथान और प्रतापपुर के समस्त सरपंच एवं सचिवों को प्रशिक्षण प्रदान किया। यह प्रशिक्षण "मेरा पंचायत – बाल विवाह मुक्त पंचायत" के विजन को साकार करने के उद्देश्य से आयोजित किया गया, जिसे कलेक्टर श्री एस. जयवर्धन के निर्देश और जिला पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारी श्री विजेन्द्र सिंह पाटले के समन्वय में संपन्न किया गया।


कार्यक्रम का आयोजन महिला एवं बाल विकास विभाग के जिला कार्यक्रम अधिकारी श्री शुभम बंसल के मार्गदर्शन में किया गया, जिसमें बाल विवाह की रोकथाम और इससे जुड़ी कानूनी तथा सामाजिक पहलुओं की विस्तृत जानकारी दी गई।


प्रशिक्षण के दौरान जिला बाल संरक्षण अधिकारी श्री मनोज जायसवाल ने बताया कि छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा जनवरी 2025 से सभी पंचायत सचिवों को बाल विवाह प्रतिषेध अधिकारी नियुक्त किया गया है। अब वे न केवल जन्म-मृत्यु बल्कि विवाह पंजीयन के लिए भी अधिकृत हैं। उन्होंने कहा कि विवाह पंजीयन के दौरान विवाह कार्ड के साथ आधार कार्ड एवं अंकसूची अनिवार्य रूप से संलग्न की जानी चाहिए, जिससे कम उम्र में विवाह की पहचान की जा सके और उसे रोका जा सके।


श्री जायसवाल ने आगे कहा कि बाल विवाह से अनेक समस्याएं उत्पन्न होती हैं, जैसे – बालिकाओं का शारीरिक एवं मानसिक विकास अवरुद्ध होना, शिक्षा में बाधा और शोषण की संभावना बढ़ना। इसलिए बालिकाओं की सुरक्षा, शिक्षा और भविष्य को सुनिश्चित करने के लिए जरूरी है कि विवाह तभी हो जब बालिका सक्षम हो।


संरक्षण अधिकारी (संस्थागत देखरेख) श्री अखिलेश सिंह ने बताया कि प्रत्येक पंचायत में बाल संरक्षण समिति का गठन किया गया है, जिसके अध्यक्ष सरपंच और सचिव सदस्य सचिव होते हैं। समिति में आंगनबाड़ी कार्यकर्ता भी सदस्य के रूप में शामिल हैं। उन्होंने कहा कि जमीनी स्तर पर जन-जागरूकता अभियान चलाना आवश्यक है। ग्राम सभाओं, पंचायत बैठकों और समाजिक आयोजनों के माध्यम से लोगों को बाल विवाह के दुष्परिणामों की जानकारी दी जानी चाहिए।


कार्यक्रम में बताया गया कि बाल विवाह प्रतिषेध अधिनियम 2006 के अंतर्गत दोषियों को दो वर्ष की सजा और एक लाख रुपये तक के जुर्माने का प्रावधान है। विवाह करने वाले, सहमति देने वाले, सहयोग करने वाले सभी व्यक्तियों पर अपराध दर्ज किया जा सकता है।


प्रशिक्षण सह कार्यशाला में मुख्य कार्यपालन अधिकारी श्री विजेन्द्र पाटले, जिला बाल संरक्षण अधिकारी श्री मनोज जायसवाल, एपीओ श्री शशि सिन्हा, संरक्षण अधिकारी श्री अखिलेश सिंह, यूनिसेफ से जिला समन्वयक श्री हितेश निर्मलकर, चाइल्डलाइन से श्री जनार्दन यादव, श्री रमेश साहू, श्री प्रकाश राजवाड़े और श्री दिनेश यादव सहित कई अधिकारी उपस्थित रहे।


इस अवसर पर यह भी जानकारी दी गई कि जो पंचायतें वर्ष 2025 में बाल विवाह मुक्त घोषित की जाएंगी और इसका प्रस्ताव पारित करेंगी, उन्हें आगामी 8 मार्च 2026 को सम्मानित एवं पुरस्कृत किया जाएगा।


यह प्रशिक्षण न केवल बाल विवाह की रोकथाम की दिशा में एक ठोस कदम है, बल्कि पंचायत स्तर पर जागरूकता एवं भागीदारी सुनिश्चित करने का एक प्रभावी माध्यम भी है।

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